Aum | Om |
ओमकार जिनका स्वरूप है, ओम जिसका नाम है उस ब्रह्म को ही ईश्वर, परमेश्वर, परमात्मा, प्रभु, सच्चिदानंद, विश्वात्मा, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, भर्ता, ग्रसिष्णु, प्रभविष्णु और शिव आदि नामों से जाना जाता है, वही इंद्र में, ब्रह्मा में, विष्णु में और रुद्रों में है। वहीं सर्वप्रथम प्रार्थनीय और जप योग्य है अन्य कोई नहीं।
इन परमात्मा को देवगण भी नहीं जान सके। अंतत: उस ईश्वर की सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम और कृष्ण आराधना करते हैं।
ईश्वर न तो भगवान है, न देवता, न दानव और न ही प्रकृति या उसकी अन्य कोई शक्ति। ईश्वर एक ही है अलग-अलग नहीं। ईश्वर अजन्मा है। जिन्होंने जन्म लिया है और जो मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं या फिर अजर-अमर हो गए हैं वे सभी ईश्वर नहीं हैं। यही सनातन सत्य है।
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