कुलभुषण स्वामी शाबर मन्त्र एवं तन्त्र विशेषज्ञ हैं। हालांकि इन्हें इनके क्रोधित स्वभाव के कारण ज्यादा जाना जाता है, लेकिन जितने ये गर्म मिज़ाज़ दिखते हैं, अन्दर से उतने ही नर्म हैं। किसी का भी करूण रूदन इन्हें विचलित कर देता है और ये उस असहाय या मजबूर व्यक्ति विशेष की सहायता को तुरन्त तैयार हो जाते हैं। उसकी हर संभव सहायता करते हैं।
कुलभुषण स्वामी विनोदी प्रकृति के भी इंसान हैं। ये बच्चों से तो बहुत हंसी मज़ाक करते हैं। कन्याओं को विशेष स्नेह करते हैं और माता स्वरूप बताकर उनका आदर भी बहुत करते हैं। अबोध छोटी बच्ची उन्हें अत्यंत प्रिय है। एक तरफ़ वे उन्हें बेटा कहते हैं तो दूसरी तरफ़ माता कहकर उनका आदर मान करते हैं। वो कन्या के वशीभूत हैं।
वास्तव में, कुलभुषण स्वामी शक्ति के उपासक हैं। वो एकेशवरवादी हैं। निराकार और निर्विकार परब्रह्म परमेशवर की पूजा, उपासना और मनन-चिन्तन करते हैं। शक्ति, परमेशवर की सेविका है। शक्ति उन्हें अपना कन्या रूप ही बताती और दिखाती हैं। उनके मुताबिक ये अबोध कन्याएं, मैं (शक्ति) ही हुं। इसलिए गुरूजी अबोध कन्याओं से विशेष स्नेह रखते हैं।
कुलभुषण स्वामी अवधूत योगी हैं। ॐ की पूजा-अर्चना करते हैं। नवनाथ चौरासी सिद्धों का बहुत आदर करते हैं और उन्हीं के द्वारा रचित शाबर मन्त्रों का प्रयोग जन कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार से करते हैं।
शाबर मन्त्र एवं तन्त्र ज्योतिष अत्यंत शक्तिशाली है। कलयुग में इसका विशेष महत्व है क्योंकि ये शीघ्रता से प्रभाव दिखाते हैं। कलयुग में लोगों के पास समय की विशेष रूप से कमी है। ऐसे में उन्हें ऐसे प्रभावशाली मन्त्रों की आवश्यकता है जो शिघ्र-अति-शिघ्र परिणाम लाते हों और शाबर मन्त्र ऐसे ही हैं। अत्यंत शक्तिशाली हैं, तुरन्त असर दिखाते हैं और जातक की मनोकामना पुर्ण होती है।
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